बच्चों में तनाव और उदासी के लक्षण: पैरेंट्स कैसे करे इस मुश्किल का हल।

बच्चों में मानसिक तनाव और उदासी कहीं depression तो नही। चलिए बात करते है उस विषय पर जिसकी ओर हमारा कभी ध्यान ही नही जाता। 

आजकल का समय पहले से बदल चुका है । इसलिए अब हमे अपने पैरांटिंग के तरीके को भी बदलना होगा । आजकल जो माहौल हमारे चारो ओर है उस माहौल में बच्चा समय से पहले मेच्योर होने लगता है पर उसका ब्रेन  और साइकॉलजी ऐसा नहीं कर पाते यही कारण है कि बच्चा मानसिक तनाव और उदासी महसूस करता है।

पैरेंट्स को क्या करना होगा :

आजकल के दौर मे  parenting एक चैलेंजिंग टास्क है। क्युकी हम जब बच्चे थे तो अधिकतर मां केवल घर संभालती थी और बच्चों की देखभाल करती थी । पर अब वक्त बदल चुका है । अब females भी करियर oriented होती है और ये अब जरूरी भी हो गया हैं।इसमें कोई दो राय नही है।पर हमे अपने बच्चो का भी तो ध्यान रखना होगा ।  ध्यान रखिए बच्चे कभी आपसे ये बात नही कहेंगे की उन्हें तनाव या anxiety महसूस होती है क्युकी ये बात वो खुद भी नही समझ पाते। हमे उनके behaviour से ही सब समझना होगा।   i घबराइए मत । बस आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी आइए जानते है कैसे बच्चे को इस suffering से बाहर निकाले। 

*Behaveior पर नजर रखे : बच्चो के बर्ताव से उसकी मानसिक स्थिति समझने की कोशिश करे।

उसकी उमर के होकर सोचे की उसे क्या महसूस हो रहा है।

*Love and care: जब भी बच्चे को परेशान देखे तो कुछ समय निकाल कर उसे प्यार दे और मदर टच फील कराए  ये जादू की तरह काम करता है इससे बचे का मूड quickly बदल जाएगा।और उसे अच्छा फील होने लगेगा।

Listen to the child: आजकल की busy लाइफस्टाइल में हम इतने व्यस्त रहते है की बच्चो के लिए टाइम ही नहीं निकाल पाते । पर याद रखिए ये बच्चों की मेंटल हेल्थ के लिए सही नही है।हमे अपने बाकी कामों के साथ बच्चों के साथ भी बैलेंस बनाना होगा। उनकी बाते सुने । बच्चे जो भी सवाल करे उसका एक अच्छा सा जवाब आपके पास होना चाहिए ।ये उनकी पर्सनेलिटी डेवलपमेंट के लिए बहूत जरूरी step है।

Problem solving: बच्चों की बहुत छोटी छोटी प्रॉब्लम्स होती है पर उन्हें तो वह बहुत बड़ी लगती है ।ओर वो उन छोटी छोटी बातों का स्ट्रेस भी ले लेते है। आपको उन्हें समझाना होगा की ये बहुत छोटी प्रोब्लम है और उसे सॉल्व करने में उसकी मदद करे। 

Coping skills : ये एक बहुत अच्छा तरीका है बचे को अच्छी बातें सिखाने के लिए। उसके लिए आपको एक idol बनना होगा और उसे सिखाए की वह की आप की तरह ही करे। जैसे आप चाहते है की बच्चा करे आप वैसे ही खुद को बनाए। बच्चा हमेशा अपने पैरेंट्स को कॉपी करता है।   

Conversation: बच्चे से बात करे। उससे अपनी सारी बातें शेयर करे की आज क्या क्या हुआ ,कैसे कैसे प्रोब्लम  आई और कैसे उसे सॉल्व किया । इससे बचे को प्रोब्लम से डर नहीं लगेगा। 

Patientce:बच्चे को कोई चीज सीखने में वक्त लगता है। ऐसे में आपको पेशेंस रखना होगा। उसे वक्त दे सीखने का । उसपे प्रेशर न डाले। ओर उसे गुस्से में abusing words का प्रयोग न करे। इससे उसकी मेंटल हेल्थ पे असर पड़ता है।

Enviroment:बच्चे को पॉजिटिव माहौल में रहने दे। पैरेंट्स की आपस की लड़ाई भी बचे के मन पर असर करती हैं। घर का माहौल खुशनुमा और लाइट रखे।

Rest time:स्ट्रेस को मैनेज करने में बच्चे की मदद करे। उसे rest करने और शांत रहने का वक्त दे। बच्चे को नींद भरपूर चाहिए । ये निश्चित करे की बच्चा पूरी नींद ले ।

Exercise: बच्चे को एक्सरसाइज और sports, खेल के लिए प्रोसाहित करे । उसका पूरे दिन में रोज एक निश्चित समय आउटडोर गेम्स और आउटिंग के लिए रखे।

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